Kohinoor Diamond Mystery – कोहिनूर हीरा: इतिहास, यात्रा और वर्तमान स्थिति
Kohinoor Diamond Mystery
कोहिनूर, जिसे दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और विवादास्पद हीरा माना जाता है, अपनी अद्भुत चमक और ऐतिहासिक महत्व के कारण सदा से ध्यान का केंद्र रहा है। इस लेख में हम इस हीरे की उत्पत्ति, ऐतिहासिक सफर, वर्तमान स्थिति और मूल्य के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
कोहिनूर का परिचय
कोहिनूर एक फारसी शब्द है, जिसका अर्थ है “रोशनी का पर्वत”। यह एक बेजोड़ और ऐतिहासिक हीरा है, जिसका वजन लगभग 105.6 कैरेट है। इसे दुनिया के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित हीरों में से एक माना जाता है। यह हीरा न केवल अपनी खूबसूरती के लिए, बल्कि इसके साथ जुड़े संघर्ष और विवादों के लिए भी प्रसिद्ध है।
कोहिनूर का इतिहास
1. कोहिनूर की उत्पत्ति
कोहिनूर की उत्पत्ति 13वीं शताब्दी में भारत के गोलकुंडा क्षेत्र में हुई मानी जाती है। यह हीरा कोल्लूर खदान से निकाला गया था, जो आंध्र प्रदेश में स्थित थी। उस समय यह खदान दुनिया के सबसे प्रमुख हीरा उत्पादक क्षेत्रों में से एक थी।
2. कोहिनूर का पहला उल्लेख
कोहिनूर का पहला उल्लेख 1306 में मिलता है, जब इसे मालवा के राजा के खजाने का हिस्सा बताया गया। उस समय इसे सबसे बड़ा और बहुमूल्य रत्न माना जाता था।
3. मध्यकाल में कोहिनूर
- यह हीरा कई शासकों के हाथों से गुजरा, जिनमें दिल्ली के सुल्तान, मुग़ल साम्राज्य के शासक और फारसी आक्रमणकारी शामिल हैं।
- 1526 में, बाबर ने इसे “बाबरनामा” में उल्लेखित किया और इसे अपने खजाने का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया।
- शाहजहां ने इसे अपने प्रसिद्ध मयूर सिंहासन में जड़वाया, जो मुग़ल दरबार की शान था।
4. नादिर शाह और कोहिनूर
1739 में फारसी आक्रमणकारी नादिर शाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया और कोहिनूर हीरे को अपने साथ फारस ले गया। यही वह समय था जब इस हीरे को “कोहिनूर” नाम मिला।
5. अंग्रेजों के हाथों में कोहिनूर
1849 में, दूसरी सिख युद्ध के बाद, महाराजा रणजीत सिंह के खजाने से कोहिनूर को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कब्जे में ले लिया। बाद में इसे महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया।
कोहिनूर की यात्रा: स्थान से स्थान तक
कोहिनूर ने अपने सफर में कई देशों और खजानों का हिस्सा बनकर एक लंबा सफर तय किया।
- भारत:
- गोलकुंडा से लेकर मुग़ल खजाने और सिख साम्राज्य तक, कोहिनूर भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।
- फारस:
- नादिर शाह के समय कोहिनूर फारस पहुंचा।
- अफगानिस्तान:
- नादिर शाह की हत्या के बाद कोहिनूर अफगानिस्तान के शाह के पास पहुंचा।
- ब्रिटेन:
- 1850 में इसे ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन लंदन ले जाया गया और इसे महारानी विक्टोरिया के मुकुट में जड़ा गया।
कोहिनूर वर्तमान में कहाँ है?
आज कोहिनूर हीरा लंदन के टॉवर में स्थित है और ब्रिटिश शाही परिवार के संग्रह का हिस्सा है। इसे महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज में सजाया गया था और यह जनता के लिए प्रदर्शित किया जाता है।
कोहिनूर की कीमत
कोहिनूर की सटीक कीमत तय करना मुश्किल है क्योंकि यह बिकाऊ नहीं है। फिर भी, विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी कीमत अरबों डॉलर में हो सकती है। यह केवल इसकी चमक और आकार के कारण नहीं, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी अत्यधिक मूल्यवान है।
कोहिनूर के साथ जुड़े विवाद
1. भारत और अन्य देशों का दावा
- भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान ने समय-समय पर कोहिनूर पर अपना दावा किया है।
- भारत सरकार ने कई बार ब्रिटेन से कोहिनूर को वापस करने की मांग की है, क्योंकि यह भारत का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है।
2. ब्रिटेन का रुख
ब्रिटेन ने हमेशा यह दावा किया है कि कोहिनूर को वैध रूप से ब्रिटिश शाही परिवार को सौंपा गया था। हालांकि, इतिहासकार इस दावे पर सवाल उठाते हैं।
कोहिनूर के बारे में रोचक तथ्य
- कोहिनूर को “अभागा हीरा” भी कहा जाता है, क्योंकि इसे रखने वाले शासकों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- यह माना जाता है कि यह हीरा केवल महिलाओं के लिए शुभ होता है।
- 1852 में, ब्रिटिश गहना विशेषज्ञों ने इसकी चमक बढ़ाने के लिए इसे दोबारा तराशा, जिससे इसका वजन आधा हो गया।
निष्कर्ष
कोहिनूर हीरा न केवल एक अद्भुत रत्न है, बल्कि यह इतिहास, राजनीति और संस्कृति का एक प्रतीक भी है। इसकी यात्रा भारत से लेकर ब्रिटेन तक एक ऐसी कहानी कहती है, जो समय के साथ और भी महत्वपूर्ण हो गई है। यह हीरा आज भी कई लोगों के लिए गर्व और विवाद का विषय बना हुआ है।
कोहिनूर की सुंदरता और इतिहास ने इसे दुनिया का सबसे चर्चित हीरा बना दिया है। भले ही यह इस समय ब्रिटेन में हो, लेकिन इसके भारतीय मूल और संस्कृति के साथ जुड़े महत्व को भुलाया नहीं जा सकता।
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