Government Report Card
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2014 के बाद से भारत में भाजपा (BJP) की सरकार केंद्र में सत्ता में है, और इस दौरान उसके शासन को लेकर कई सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा होती रही है। आपने “जंगल राज” और नुकसान का जिक्र किया है, साथ ही बेरोजगारी, स्कूल-कॉलेज बंद होने और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर जानकारी मांगी है। मैं आपको उपलब्ध डेटा और तथ्यों के आधार पर एक संतुलित जवाब देने की कोशिश करूंगा। हालांकि, कुछ आंकड़े सरकारी स्रोतों से सीमित हो सकते हैं या पूर्ण रूप से अपडेटेड नहीं हो सकते, क्योंकि सरकार ने 2011 के बाद से कुछ क्षेत्रों (जैसे गरीबी और रोजगार) में आधिकारिक डेटा प्रकाशित नहीं किया है। फिर भी, मैं विभिन्न स्रोतों और रिपोर्ट्स के आधार पर जानकारी दूंगा।
1. बेरोजगारी (Unemployment)
- स्थिति: भाजपा ने 2014 के चुनाव में हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था। हालांकि, कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया गया।
- आंकड़े:
- सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के अनुसार, मार्च 2024 में भारत की बेरोजगारी दर 7.6% थी।
- इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 तक बेरोजगार युवाओं में 66% शिक्षित थे (माध्यमिक शिक्षा या उससे ऊपर), जो 2000 में 35.2% था। इसका मतलब है कि शिक्षित बेरोजगारी दोगुनी हो गई।
- कांग्रेस के “ब्लैक पेपर” (2024) में दावा किया गया कि 2012 में कुल बेरोजगारी 1 करोड़ थी, जो 2022 तक बढ़कर 4 करोड़ हो गई। हालांकि, यह दावा स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं है।
- प्रभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा जैसी योजनाओं में कटौती और निजी क्षेत्र में अपेक्षित नौकरी सृजन न होने से बेरोजगारी बढ़ी। साथ ही, सरकारी नौकरियों में 10 लाख से अधिक स्वीकृत पद खाली रहने की बात भी सामने आई है।
2. स्कूल बंद होना (School Closures)
- स्थिति: भाजपा शासित राज्यों में स्कूलों के बंद होने की खबरें समय-समय पर चर्चा में रही हैं। इसका कारण कम नामांकन, शिक्षकों की कमी और “स्कूल मर्जर” नीतियां बताई जाती हैं।
- आंकड़े:
- उत्तर प्रदेश: X पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि 27,000 स्कूल बंद हुए, लेकिन आधिकारिक सरकारी आंकड़े इसे कम (लगभग 3,000-5,000) बताते हैं। ये बंद मुख्य रूप से प्राइमरी स्कूलों के मर्जर के कारण हुए।
- मध्य प्रदेश: लगभग 5,000 स्कूल बंद होने की बात कही गई, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- उत्तराखंड: 1,600 स्कूलों के बंद होने का दावा है, जिसका कारण कम छात्र संख्या और पहाड़ी क्षेत्रों में संसाधनों की कमी बताया गया।
- गोवा: 6,600 स्कूल बंद होने का दावा X पर किया गया, लेकिन यह आंकड़ा अतिशयोक्तिपूर्ण लगता है, क्योंकि गोवा जैसे छोटे राज्य में इतने स्कूलों का बंद होना संदिग्ध है। संभवतः यह गलत जानकारी हो सकती है।
- प्रभाव: स्कूलों के बंद होने से ग्रामीण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई, और कई परिवारों को निजी स्कूलों की ओर रुख करना पड़ा, जो महंगा साबित हुआ।
. कॉलेज बंद होना (College Closures)
- स्थिति: कॉलेजों के बंद होने के बारे में व्यापक आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कुछ राज्यों में फंडिंग की कमी और कम नामांकन के कारण छोटे कॉलेजों पर असर पड़ा है।
- आंकड़े:
- इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट राष्ट्रीय आंकड़ा नहीं है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि निजी कॉलेजों को मान्यता रद्द होने या वित्तीय संकट के कारण बंद किया गया, लेकिन भाजपा शासन से इसे सीधे जोड़ने का ठोस प्रमाण कम है।
- उदाहरण के लिए, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कुछ तकनीकी संस्थानों और छोटे कॉलेजों के बंद होने की खबरें आईं, लेकिन संख्या सीमित (कुछ सौ) बताई गई।
- प्रभाव: उच्च शिक्षा में पहुंच सीमित हुई, खासकर ग्रामीण और कम आय वाले छात्रों के लिए।
4. पेपर लीक (Paper Leaks)
- स्थिति: भाजपा शासित राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं बार-बार सुर्खियों में रही हैं, जिससे सरकारी नौकरी की परीक्षाओं पर सवाल उठे हैं।
- आंकड़े:
- हरियाणा: 2015-2023 के बीच कई बड़े पेपर लीक हुए, जैसे AIPMT (2015), HSSC पुलिस कांस्टेबल भर्ती (2021), और HPSC पशु चिकित्सा सर्जन परीक्षा (2023)। इसके चलते हरियाणा ने “हरियाणा पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट” लागू किया।
- उत्तर प्रदेश: UP TET (2015, 2021), UP पुलिस भर्ती (2024) और अन्य परीक्षाओं में लीक की घटनाएं हुईं। 2024 में UP पुलिस भर्ती परीक्षा रद्द करना पड़ा, जिसमें 48 लाख उम्मीदवार शामिल थे।
- राजस्थान: REET (2021) पेपर लीक में 40 से अधिक लोग गिरफ्तार हुए।
- मध्य प्रदेश: व्यापम घोटाला (2013 से शुरू, लेकिन 2014 के बाद भी प्रभाव) और अन्य छोटे लीक।
- प्रभाव: इन घटनाओं से लाखों छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ, और सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठे।
5. अन्य नुकसान (Other Alleged Damages)
- आर्थिक असमानता: 2014-2022 के बीच भारत का GDP प्रति व्यक्ति $5,000 से $7,000 तक बढ़ा, लेकिन असमानता भी चरम पर पहुंची। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1% अमीरों के पास 40% से अधिक संपत्ति है।
- किसानों की स्थिति: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने का वादा पूरा नहीं हुआ। 2020-21 के किसान आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की मौत हुई।
- महंगाई: कांग्रेस के “ब्लैक पेपर” के अनुसार, 2014 में ₹410 का गैस सिलेंडर 2024 में ₹1,000 से ऊपर पहुंचा। पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ीं, जबकि कच्चे तेल की वैश्विक कीमत में 21% की कमी आई।
- संस्थानों का कमजोर होना: विपक्ष का आरोप है कि ED, CBI जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग हुआ और प्रेस की आजादी घटी।
निष्कर्ष
भाजपा के शासन को “जंगल राज” कहना एक राजनीतिक आलोचना हो सकती है, लेकिन बेरोजगारी, शिक्षा संस्थानों के बंद होने और पेपर लीक जैसे मुद्दों ने जनता में असंतोष पैदा किया है। दूसरी ओर, सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर (75 नए हवाई अड्डे, ग्रामीण विद्युतीकरण), डिजिटल इंडिया, और स्वच्छ भारत जैसे क्षेत्रों में प्रगति का दावा किया है। फिर भी, रोजगार सृजन और शिक्षा जैसे मूलभूत क्षेत्रों में कमजोरी उसकी सबसे बड़ी आलोचना रही है।
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