Mahatma gandhi Killed By Nathuram Godse
Mahatma gandhi Killed By Nathuram Godse
परिचय
महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे का नाम भारतीय इतिहास में एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। एक ओर गांधी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने वाले राष्ट्रपिता थे, तो दूसरी ओर गोडसे ने उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी। यह लेख उनके जीवन, विचारधारा और घटनाओं की ऐतिहासिक व्याख्या प्रस्तुत करेगा।
महात्मा गांधी: सत्य और अहिंसा के पुजारी
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- पूरा नाम: मोहनदास करमचंद गांधी
- जन्म: 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात
- शिक्षा: इंग्लैंड के इनर टेम्पल से बैरिस्टर की पढ़ाई
- दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष: रंगभेद के खिलाफ आंदोलन
गांधी जी ने भारत में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी और अहिंसा को अपना हथियार बनाया।
2. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- असहयोग आंदोलन (1920) – ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार
- दांडी यात्रा (1930) – नमक कानून तोड़ने के लिए ऐतिहासिक यात्रा
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – “अंग्रेजो भारत छोड़ो” का नारा
गांधी जी के नेतृत्व में भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली।
नाथूराम गोडसे: एक विवादास्पद व्यक्तित्व
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- पूरा नाम: नाथूराम विनायक गोडसे
- जन्म: 19 मई 1910, पुणे, महाराष्ट्र
- शिक्षा: आरएसएस और हिंदू महासभा से जुड़ाव
- राजनीतिक विचारधारा: कट्टर हिंदुत्व
गोडसे एक राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक थे, जिन्होंने गांधी की नीतियों का विरोध किया।
2. गांधी की हत्या और कारण
- 30 जनवरी 1948 को गोडसे ने गांधी जी को नई दिल्ली में गोली मारी।
- उन्होंने गांधी पर भारत विभाजन का दोष लगाया।
- पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के फैसले का विरोध किया।
गोडसे का मानना था कि गांधी की नीतियां हिंदुओं के हितों के खिलाफ थीं।
गांधी बनाम गोडसे: वैचारिक संघर्ष
मुद्दा | महात्मा गांधी | नाथूराम गोडसे |
---|---|---|
अहिंसा | पूर्ण रूप से अहिंसा के समर्थक | हिंसा को अंतिम उपाय मानते थे |
हिंदू-मुस्लिम एकता | सभी धर्मों को समान मानते थे | भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे |
विभाजन | विभाजन के खिलाफ थे, लेकिन इसे स्वीकार किया | गांधी को विभाजन के लिए दोषी मानते थे |
ब्रिटिश शासन | अहिंसा से संघर्ष किया | ब्रिटिशों के खिलाफ क्रांतिकारी उपायों का समर्थन |
गांधी की हत्या के बाद प्रभाव
- गोडसे को 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई।
- आरएसएस और हिंदू महासभा पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- गांधीवाद की विचारधारा और मजबूत हुई।
गांधी की हत्या के बाद भी उनका प्रभाव भारत और विश्व में बना रहा।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे दो विपरीत विचारधाराओं के प्रतीक थे। एक ने अहिंसा को अपनाया, जबकि दूसरे ने उसे चुनौती दी। गांधी का प्रभाव आज भी बना हुआ है, जबकि गोडसे का विचारधारा के रूप में अध्ययन किया जाता है।
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